आखिरी चट्टान - मोहन राकेश

                    आखिरी चट्टान | ( मोहन राकेश )   परिचय - मोहन राकेश ( असली नाम मदनमोहन मुगलानी ) का जन्म अमृतसर में सन् 1925 में हुआ । उन्होंने पहले आरिएंटल कालेज , लाहौर से संस्कृत में एम . ए . किया और विभाजन के बाद जालन्धर आये । फिर पंजाब विश्वविद्यालय से एम . ए . किया । जीविकोपार्जन के लिए कुछ वर्षों अध्यापन कार्य किया , किन्तु लाहौर , मुम्बई , जालन्धर और दिल्ली में रहते हुए कहीं भी स्थायी रूप से नहीं रहे । इन्होंने कुछ समय तक ‘ सारिका ' पत्रिका का सम्पादन किया । ये ' नयी कहानी ' आन्दोलन के अग्रणी कथाकार माने जाते हैं । मोहन राकेश बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उन्होंने उपन्यास , नाटक , कहानी , निबन्ध एवं यात्रा - वृत्तान्त आदि सभी विधाओं पर लेखनी चलायी । इनका सन् 1972 में असमय निधन हुआ ।  आषाढ़ का सारा दिन ' , ' लहरों के राजहंस ' तथा ' आधे - अधूरे ' इनके चर्चित नाटक हैं , जो रंगमंच की दृष्टि से पूर्ण सफल हैं । ' अंधेरे बन्द कमरे ' , ' अन्तराल ' , ‘ न आने वाला कल ' उनके उपन्यास तथा ' इंसान के खण्डहर ' , ' नये बादल '...

हिन्दू राष्ट्र की मांग : नेपाल को

*नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर चलाए जा रहे अभियान को मुसलमानों से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. बता दें कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने को लेकर एक अभियान चलाया जा रहा है।* *खास बात है कि इस अभियान का अगर कोई समुदाय सबसे ज्यादा समर्थन कर रहा है तो वह है वहां का मुस्लिम समुदाय। नेपाल का मुस्लिम समुदाय सेकुलर राष्ट्र नहीं चाहता है, बल्कि वह पुराना हिंदू राष्ट्र चाहता है।* *वहां के मुसलमानों का कहना है कि नेपाल में सेकुलर संविधान के तहत नहीं बल्कि हिंदू राष्ट्र के अंतर्गत इसलाम ज्यादा सुरक्षित है। नेपाल के राप्ति मुस्लिम सोसाइटी के चेयरमैन अमजद अली का कहना है कि अगर इसलाम को सुरक्षित रखना है तो हमें नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करवाने के लिए अपना मुंह खोलना होगा क्योंकि हिंदू राष्ट्र के तहत ही हमारा मजहब सुरक्षित रह सकता है।* *अमजद अली नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग के लिए प्रदर्शन कार्यक्रम से भी जुड़े हैं। सीपीएन-यूएमएल सीए की सदस्य अनारकली मिया ने कहा है कि वह अपने अनुभव के आधार पर कह सकती है कि नेपाल में क्रिश्चियनिटी के विस्तार के लिए क्रिश्चियन मिशनरी यहां के लोगों को सेकुलर के नाम पर भ्रमित करने में जुटे हैं।* *उनका तो यहां तक कहना है कि नेपाल को सेकुलरिज्म स्वीकार ही नहीं करना चाहिए। सेकुलरवाद भविष्य में और संकट पैदा करेगा। इनके अलावा कई नामी मुस्लिम नेताओं ने भी स्वीकार किया है कि यहां क्रिश्चियनिटी का प्रभाव बढ़ाया जा रहा है।* *नेपालगंज के राष्ट्रवादी मुसलिम मंच के चेयरपर्सन बाबू खान पठान के हवाले से वहां के प्रमुख समाचार पत्र हिमालयन टाइम्स ने कहा है कि नेपाल को सेकुलर राष्ट्र बनाने के पीछे सदियों से चल रही हिंदू-मुसलिम के भाईचारे को तोड़ने की मंशा थी।* *इसलिए नेपाल को एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए* नेपाल के अंदर वहां के मुसलमान आज उस देश को हिंदू राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं तो इस बात का सीधा सा अर्थ यह भी है कि हिंदू संस्कृति सबसे ऊपर है हिंदू संस्कृति सबसे बड़ी है और हिंदू की संस्कृति शब्द संस्कृतियों से अलग है क्योंकि इस संस्कृति में सब का सम्मान है मान है जान है परिवार है और उन मुसलमानों ने आज नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की जो मांग की है हम उसका सम्मान करते हैं और हम भी यही चाहते हैं कि वहां पर भी हिंदू राष्ट्र लागू हो क्योंकि नेपाल हमारा पड़ोसी देश है वह हमारा भाई है कहीं ना कहीं हमें उनसे मदद मिलती है और हम भी उनकी मदद करते हैं भारतीय कभी ऐसा नहीं बोलते कि नेपाल ने हमें कुछ नहीं दिया जो दिया हमने नेपाल को दिया हमेशा कतई नहीं बोलते क्योंकि ऐसा बोलने से ना सिर्फ लोगों पर ठेस पहुंचती बल्कि नेपाल के देशवासियों को भी ऐसा लगता है कि भारतीय घमंडी बहुत ज्यादा है तो हमें ऐसा नकारते हुए हमें सबसे मेन मुद्दा अपना यही है कि वहां के जो मुसलमानों ने यह मुद्दा उठाया वह अच्छा है और सरकार इसको जारी करें धन्यवाद

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