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Showing posts from 2018

आखिरी चट्टान - मोहन राकेश

                    आखिरी चट्टान | ( मोहन राकेश )   परिचय - मोहन राकेश ( असली नाम मदनमोहन मुगलानी ) का जन्म अमृतसर में सन् 1925 में हुआ । उन्होंने पहले आरिएंटल कालेज , लाहौर से संस्कृत में एम . ए . किया और विभाजन के बाद जालन्धर आये । फिर पंजाब विश्वविद्यालय से एम . ए . किया । जीविकोपार्जन के लिए कुछ वर्षों अध्यापन कार्य किया , किन्तु लाहौर , मुम्बई , जालन्धर और दिल्ली में रहते हुए कहीं भी स्थायी रूप से नहीं रहे । इन्होंने कुछ समय तक ‘ सारिका ' पत्रिका का सम्पादन किया । ये ' नयी कहानी ' आन्दोलन के अग्रणी कथाकार माने जाते हैं । मोहन राकेश बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उन्होंने उपन्यास , नाटक , कहानी , निबन्ध एवं यात्रा - वृत्तान्त आदि सभी विधाओं पर लेखनी चलायी । इनका सन् 1972 में असमय निधन हुआ ।  आषाढ़ का सारा दिन ' , ' लहरों के राजहंस ' तथा ' आधे - अधूरे ' इनके चर्चित नाटक हैं , जो रंगमंच की दृष्टि से पूर्ण सफल हैं । ' अंधेरे बन्द कमरे ' , ' अन्तराल ' , ‘ न आने वाला कल ' उनके उपन्यास तथा ' इंसान के खण्डहर ' , ' नये बादल '

हनुमान बेनीवाल ओर अनिता का सच

अनिता बेनीवाल अपने ही चाचा हनुमान बेनीवाल के विरूद्ध वो खींवसर से चुनाव क्यों लड़ना जा रही है? आप तक पहुंचाई जा रही है वो हर सच्चाई जो अखबार छपी हैं, थानों के रिकॉर्ड में उपलब्ध है और अन्य जगहों से जुटाए गए तथ्याें पर आधारित हैं। *अनिता को चुनाव लड़ाने में जुटे भुमाफिया, हिस्ट्रीशीटर और हत्याकांड के आरोपी* : जीहां अनिता बेनीवाल को चुनाव लड़ाने वाले प्रशासनकी ओर से घोषित भूमाफिया और नागौर कोतवाली थाने का हिस्ट्रीशीटर हरिराम जाट (लोमरोड़) और नागौर शहर के वाटर वक्र्स चौराहे पर 8 अक्टूबर 2013 को हुई गैंगवार व अल्ताफ हत्याकांड का गिरफ्तार आरोपी संजय कॉलोनी निवासी रामचंद्र उर्फ बबलू ताडा ने मिलकर यह रणनीति बनाई है। *कौन है हरिराम जाट (लोमरोड़)* : यह हरिराम वो ही भुमाफिया व हिस्ट्रीशीटर हैं जिन्होंने नागौर शहर में 400 करोड़ रुपए की जमीनों के अधिकारियों से सांठ-गांठ कर झूठे दस्तावेजों के आधार पर गलत तरीके से नियमन, पट्टे चिपती जमीनों की स्वीकृतियां जारी करवा उन पर कब्जा कर चुका है। इस संबंध में 30 अक्टूबर 2016 को नगर परिषद के 45 वार्डों के पार्षदों ने तत्कालीन कलेक्टर राजन विशाल को इसी भूमाफिय

कांग्रेस से जनता नाराज क्यो ??

1. क्योंकि हमें दिग्विजयसिंह का घटिया राज आज भी याद है 2. कांग्रेस केवल मुसलमानों की पार्टी है 3. कोई सरकारी कर्मचारी ऑन ड्यूटी नमाज़ पढ़ सकता है लेकिन सुबह सुबह जब वो ड्यूटी पर नहीं होता है वो शाखा में नहीं जा सकता है 4. इस देश का और हिंदुत्व का जितना नुकसान कांग्रेस ने किया उतना अंग्रेज़ों ने भी नहीं किया है। 5. कांग्रेस राम को काल्पनिक बताती है, राम मंदिर के फैसले में देरी चाहती है और आज उसका मूर्ख अध्यक्ष मंदिर मंदिर घूमने की नौटँकी करता है। 6. वर्तमान और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष जो कि माँ बेटे हैं, 5000 करोड़ के घोटाले में जमानत पर छूटे हुए आरोपी हैं 7. राहुल गांधी संसद में फ्रांस के राष्ट्रपति से मिलने जितना बड़ा झूठ बोलते हैं इसके बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इसका खंडन करते हैं 8. 84 के दंगों में कांग्रेस ने सिखों का नरसंहार किया था 9. पाकिस्तान में जाकर कांग्रेसी नेता मोदी को हटाने की बात करते हैं 10. जीप घोटाले से लेकर तो 2G घोटाले तक जाने कितने खरब रुपये कांग्रेस ने इस देश की जनता के लूटे हैं 11. पिछले साढ़े चार सालों में देश में कहीं भी आतंकी हमला नहीं हुआ, जबकि कांग्रेस के समय में आय

आखिर वोट किसको दे

*आखिर किसको वोट दिया जाये, किसको नहीं ! बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि सोचने पर BJP से भरोसा उठ जाता है। और देश के बारे में सोचते हैं तो दूसरी पार्टियों से भरोसा उठ जाता है।* त्रिपुरा में BJP की जीत पर वंदेमातरम के नारे लगे । अररिया में राजद की जीत पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे । *बेरोजगारी तो बर्दाश्त है, लेकिन पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा बर्दाश्त नहीं होता है।* कमियां तो हर सरकार में होती है, पर सारी देशद्रोही ताकतों को भाजपा से इतनी नफरत देख भाजपा के साथ खड़ा रहने का इरादा और पक्का हो जाता है। *राज ठाकरे से लेकर राहुल गांधी तक ,* *चंद्रबाबू से लेकर शरद बाबू तक,* *येचुरी से लेकर अब्दुल्ला तक,* *लालू से लेकर अखिलेश तक,* *मायावती से लेकर ममता बनर्जी तक !* *सब नेता एक आदमी को हराने को एक साथ खड़े हो गए हैं। कुछ तो जरूर सही किया है बंदे ने, तभी तो अपनी दुकान बचाने के चक्कर में पूरा बाजार ही रास्ते पर उतर आया है I* शिवसेना के अध्यक्ष कौन बने ? *बालासाहेब का बेटा* अगले एनसीपी अध्यक्ष कौन होंगे ? *शरद पवार की बेटी या भतीजे।* आरजेडी का अगला अध्यक्ष कौन है ? *लालू प्रसाद

सालों तक पवित्र कैसे रहता है गंगाजल

हिन्दू धर्म में गंगाजल को सबसे पवित्र जल माना जाता है, सदियों से ही हर पवित्र कार्य को आरंभ करने के लिए हिन्दू लोग गंगाजल का ही प्रयोग करते हैं। हर हवन – पूजन और आराधना में गंगाजल का उपयोग होता है। हिन्दू शास्त्रो में भी गंगाजल की बहुत महत्ता है। गंगाजल की कुछ विशेषताएं हैं, जिनमें से सबसे बड़ी यह कि यह जल कभी खराब नहीं होता. इस पानी की जैविक संरचना विशिष्ट है.।वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगा के पानी में ऐसे बैक्टीरिया हैं, जो पानी को सड़ाने वाले कीटाणुओं को पनपने नहीं देते और यह लंबे समय तक खराब नहीं होता। गोमुख से निकली भागीरथी, प्रयाग में अलकनंदा से मिलती है. इतनी दूरी तय करने के दौरान इसमें कुछ चट्टानें घुलती जाती हैं, जिससे इसके जल में ऐसी क्षमता पैदा हो जाती है जो पानी को सड़ने नहीं देती. कई इतिहासकार बताते हैं कि सम्राट अकबर स्वयं तो गंगाजल का सेवन करते ही थे, मेहमानों को भी गंगा जल पिलाते थे. अब सवाल ये है कि गंगा जल आखिर खराब क्यों नहीं होता? पतित पावनी गंगा नदी का नाम आते ही ये सवाल अकसर दिमाग को खटखटा देता है, लेकिन इसका भी जवाब मिल गया है. दरअसल, गंगोत्री से निकली गंगा

खाटू श्याम ओर उनके भक्त

*बाबा के एक दास की विनती सुन लो....* *जो भी ये पोस्ट पढ़ रहे है वो अगर हर तरह से सम्पन्न है तो जो लोग किसी तरह के संम्पन्न लोग है तो जो परेशान चल रहे है उनको खाटूश्यामजी का रास्ता जरूर बता देना।* *कहते थे श्री आलूसिंह जी प्रभु का सच्चा दरबार है*, *सच्चे मन से जो कोई ध्यावे उसका बेड़ा पार है* *बाबा को हारे का सहारा इसीलिये नहीं कहा जाता है कि उन्हें अपनी माता मोर्वी से हारे हुए की जीत कराने का वरदान मिला था, जब श्रीकृष्ण ने वीर बर्बरीक को कलियुग का राजा बनने का वरदान दिया तब ये कहा था कि दुनिया मुझे सबसे बड़ा योगी कहती है कि तीनों लोकों में जिस किसी की किस्मत में मैंने दुख लिख दिया उसको सुख में परिवर्तित करने वाला कोई नहीं है, और जिसकी किस्मत में मैंने सुख, ऐशो आराम लिख दिया उसे दुखी करने वाला कोई नहीं है, जिसकी किस्मत को मैंने अगर दुखों, संघर्ष एवं कमियों से भर दिया है उसे कोई नहीं बदल सकता है, लेकिन हे वीर बर्बरीक कोई अगर किस्मत का मारा* *जिसकी किस्मत में मैंने दुख लिखे हैं और कलियुग में वो तेरे दर पर आ गया तो तेरे दरबार में मेरा लिखा हुआ भी बदल जाएगा।* *पूरी कायनात में खाटू नरेश

माँ लक्ष्मी को प्रसन्न कैसे करे

शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा ( Purnima ) के दिन सुबह लगभग 10 बजे पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। कहते है कि जो व्यक्ति इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा रखकर मीठा जल अर्पण करके धूप अगरबत्ती जला कर मां लक्ष्मी का पूजन करें और माता लक्ष्मी को अपने घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें तो उस जातक पर लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है। सफल दाम्पत्य जीवन के लिए प्रत्येक पूर्णिमा ( Purnima ) को पति पत्नी में कोई भी चन्द्रमा को दूध का अर्ध्य अवश्य ही दें ( दोनों एक साथ भी दे सकते है) , इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है। जिस भी व्यक्ति को जीवन में धन सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन्हें पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर "ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम:" अथवा " ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:। " मन्त्र का जप करते हुए अर्ध्य देना चाहिए । इससे धीरे धीरे उसकी आर्थिक समस्याओं का निराकरण होता है । पूर्णिमा के दिन भगवान शिव को सफ़ेद चंदन एवं सफ़ेद फूल चढ़ाते

चरणामृत का क्या महत्व है?

चरणामृत का क्या महत्व है? अक्सर जब हम मंदिर जाते है तो पंडित जी हमें भगवान का चरणामृत देते है.क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की.कि चरणामृत का क्या महत्व है. शास्त्रों में कहा गया है अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।। “अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृतरूपी जल समस्त पाप-व्याधियों का शमन करने वाला है तथा औषधी के समान है।,जो चरणामृत पीता है उसका पुनः जन्म नहीं होता” जल तब तक जल ही रहता है जब तक भगवान के चरणों से नहीं लगता,जैसे ही भगवान के चरणों से लगा तो अमृत रूप हो गया और चरणामृत बन जाता है. जब भगवान का वामन अवतार हुआ,और वे राजा बलि की यज्ञ शाला में दान लेने गए तब उन्होंने तीन पग में तीन लोक नाप लिए जब उन्होंने पहले पग में नीचे के लोक नाप लिए और दूसरे में ऊपर के लोक नापने लगे तो जैसे ही ब्रह्म लोक में उनका चरण गया तो ब्रह्मा जी ने अपने कमंडलु में से जल लेकर भगवान के चरण धोए और फिर चरणामृत को वापस अपने कमंडल में रख लिया.वह चरणामृत गंगा जी बन गई,जो आज भी सारी दुनिया के पापों को धोती है,ये शक्ति उनके पास कहाँ से आई ये शक्ति

एक गोत्र में शादी क्यो नही

एक दिन डिस्कवरी पर जेनेटिक बीमारियों से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था। उस प्रोग्राम में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा कि जेनेटिक बीमारी न हो, इसका एक ही इलाज है और वो है :- *"सेपरेशन ऑफ़ जींस"* ============= मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारों में विवाह नहीं करना चाहिए, क्योंकि नजदीकी रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नहीं हो पाता और जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और एल्बोनिज्म होने की 100% सम्भावना होती है। *फिर बहुत ख़ुशी हुई, जब उसी कार्यक्रम में ये दिखाया गया कि आखिर "हिन्दूधर्म" में हजारों-हजारों वर्ष पहले जींस और डीएनए के बारे में कैसे लिखा गया है ?* ************ हिंदुत्व में गोत्र होते हैं और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नहीं कर सकते ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहें.. ************************* *उस वैज्ञानिक ने कहा कि आज पूरे विश्व को मानना पड़ेगा कि "हिन्दूधर्म ही" विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो "विज्ञान पर आधारित" है।* **************** हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क :

पिता छाँव तो फिर बेटा क्या है ??

राम-राम और नमस्कार दोस्तों मैं संकेत पारीक राजस्थान के नागौर जिले से आज आपको एक और हकीकत की कहानी से बयान करता हूं शायद इस गाने को सुनकर आप लोगों के दिल में कहीं ना कहीं दर्द जरूर होगा कि एक पिता जो होता है वह अपने परिवार और अपने बच्चों के लिए ठंडी छाया होता है लेकिन जिस दिन वह पिता बूढ़ा हो जाता है उस दिन उसका परिवार और उसका जो पुत्र है उसके लिए क्या होता है क्या मायने रखता है क्या पिता अगर छांव है तो क्या बेटा बुढ़ापे में पिता की इज्जत क्यों नहीं करता है क्या है क्या नहीं है मैं आपको यह कहानी में बता रहा हूं कि एक बार मैंने ऐसा देखा था कि एक पिता अच्छा कमाता था वह अपने बच्चों को हर चीज हर खुशी हर एक छोटी छोटी चीजें उपलब्ध करते थे वह पिता अपने बच्चों के लिए अच्छा कारोबार उनकी अच्छी शादी उनको अच्छा पढ़ाया अच्छा रहना अच्छा खाना अच्छा पीना हर चीज हर चीज का शौक दिया और अपने बच्चों को कभी किसी चीज की कमी नहीं आने दी समय चलता गया चलता गया चलता गया और धीरे-धीरे एक समय ऐसा हुआ कि बच्चों की शादी करी और 3 बच्चे तीनों बच्चों की शादी कर दी लड़की अपने ससुराल चली गई और दो लड़के शादी हो गए समय का अभ

गुरु और बवासीर एक दर्द भरी कहानी

दोस्तों ने राजस्थान के नागौर जिले से संकेत पारेख और आज मैं आपको एक हकीकत की कहानी बता रहा हूं कि जब बचपन के अंदर में तीसरी या चौथी क्लास में पढ़ता था तब मुझे मेरे एक गुरुजी पढ़ाया करते थे वह प्राइवेट स्कूल थी और वह गुरुजी बहुत ज्यादा पढ़े लिखे समझदार बोलने में अच्छा वक्ता और सुनाने के लिए भी बहुत बढ़िया इंसान थे पूरी गांव में उस गुरु जी का आदर होता था वह गुरुजी बहुत अच्छा पढ़ाते थे जो बच्चा उनके यहां पड़ता था वह हर एक बच्चे को हर एक चीज आती थी और पूरा गांव उस गुरु जी का सम्मान करते थे और सब लोग यही चाहते थे कि मेरा बच्चा इन गुरुजी के पास में पड़े 1 दिन क्या हुआ गुरु जी कुछ बीमार हुए तो वह दो-चार दिन स्कूल नहीं आए मुझे आज भी वह दिन याद है जब वह guruji24 स्कूल नहीं आए तो स्कूल में अफरा-तफरी मच गई थी क्योंकि जो डिसिप्लिन और जो आदर्श वह गुरुजी बनाकर रखते थे शायद वह आदर्श कोई दूसरा बना भी नहीं पाता था लेकिन हमें नहीं पता था कि गुरु जी बहुत ज्यादा बीमार है तो गुरुजी से उठा भी नहीं जाता था ऐसा हुआ कि गुरु जी 1 महीने तक खाट में सो रहे थे ऐसे ही कैसे करके गुरु जी को लगा कि अब मुझे स्कूल नहीं चल

नौकरी और सेठ के चमचे

राम-राम और नमस्कार दोस्तों मैं संकेत पारीक राजस्थान के नागौर जिले से और नागौर जिले के डेगाना तहसील से मैं आपको इस जीवन की कुछ हकीकत चीजों से आपको रूबरू करवाता हूं कि जब परिवार की जिम्मेदारियां मेरे कंधे के ऊपर आई तो मुझे लगा कि अब मुझे पढ़ाई छोड़कर कमाने के लिए घर को छोड़ना होगा और वही हुआ और एक दिन मैं अपने परिवार की जिम्मेदारियों की बोझ के नीचे दबकर बाहर कमाने के लिए चला गया मेरे पिताजी ने मेरी पढ़ाई के पीछे बहुत खर्चा किया और वक्त ऐसा था कि मैं अच्छी पढ़ाई करके अच्छा आदमी था अच्छी पहचान थी तो जब मैं बाहर गया कमाने के लिए तो मुझे अच्छी नौकरी मिल गई थी और मुझे नौकरी करते हुए लगभग 10 दिन हो गए मुझे सब काम समझ में आने लगा सब लोगों को मैं जाने लगा लोग मुझे जानने लगे लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि जहां पर हम काम करते वहां पर पैर काटने वाले भी बहुत लोग मिल जाते हैं मैं अपनी धुन में कि मुझे अच्छी नौकरी मिल गई है मैं अपने परिवार का अच्छी तरह से पालन पोषण कर पाऊंगा अपने घर पर पैसे भेज पाऊंगा यह सब चीजें हमेशा सोचता था और मैं जिस तरह से काम करता था तो मेरी कंपनी का जो सेट है वह मेरे काम से प्रभा

मेरा दोस्त मेरी दुनिया

नमस्कार और राम-राम दोस्तों ने संकेत पारीक राजस्थान के नागौर जिले से मैं आपको कुछ हकीकत बता रहा हूं जो 100% सही है जबकि मेरे बहुत से दोस्त ने कुछ बातें ऐसी सुनी होगी जो सिर्फ टीवी के पर्दे में देखते हैं लेकिन किसी के जीवन में वह चीज घटित नहीं होती है लेकिन मैं आज आपको ऐसी बात बताने जा रहा हूं जिसको बताते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि एक समय ऐसा था जब मैं और मेरा दोस्त स्कूल में साथ पढ़ते थे स्कूल में पेशाब करने जाते थे तो हम साथ में जाते थे खाना खाने जाते थे हम साथ में जाते हैं उनकी छुट्टी होती हम साथ में जाते हैं हम चुपके से गुटखा जर्दा भी खाते थे तो साथ में खाते थे और गुण ले जाना होता था तो हम साथ में जाते थे बस एक चीज की कमी थी कि मेरा दोस्त बहुत ज्यादा गरीब था उसके घर पर बहुत ज्यादा कर्जा था लेकिन सबसे अच्छी बात यह थी कि उसका घर परिवार में हमेशा शांति प्रेम और क्या रहता था क्योंकि उसके पिताजी एक देवता जैसे इंसान थे और हम सब दोस्त उनके पास में रहते थे हमारे वह पिताजी के समान थे आज उनकी माता जी हमारी माता जी के समान थी तो हम लोग काफी साथ में रहते थे और धीरे-धीरे जैसे-जैसे परिवार की

मेरे पिताजी और अल्टो गाड़ी

एक बार मैं घर के ऊपर बैठा था तो मैंने अपने पिताजी से बात की थी कि पिताजी आज के समय में एक फोर व्हीलर गाड़ी की बहुत ही ज्यादा घर पर जरूरत होती है तब मेरे पिता जी ने मुझसे कहा कि हां बेटे तुम्हारी बात बिल्कुल सही है सब मैंने पिताजी से बोला कि पिताजी क्यों ना हम एक फोर व्हीलर गाड़ी घर पर लेकर आए चाहे गाड़ी नहीं हो या सेकंड हैंड कम से कम हमारे घर के लिए वह अच्छी होगी तो पिताजी ने हां कर दी और मैंने एक सेकेंड हैंड गाड़ी देखने की सोच ली और मैंने कम से कम 50 गाड़ियां देखी किसी की रेट ज्यादा तो किसी की रेट कम जिसकी रेट ज्यादा थी वह गाड़ी अच्छी थी लेकिन जिसकी रेट कम थी उसके फीचर्स बहुत कम थी तो मैं बहुत हताश और परेशान हो गया था कि क्या किया जाए और इस तरह से गाड़ी को ली जाए क्योंकि गाड़ी सिर्फ एक बार ही लेनी है बार-बार गाड़ी ले नहीं सकते तो मेरे पिताजी ने मुझे सामने बैठाया और मुझे बोले कि देख बेटा तुझे गाड़ी लेना है तो ₹200000 गाड़ी में खर्च कर रहा है इसकी जगह तुला किया डेढ़ लाख रुपए और डाल दे तो गाड़ी नहीं आ जाएगी और बहुत ही शानदार गाड़ी आ जाएगी मैंने पिताजी की बात को दिल और दिमाग में छाप लिया

भाजपा में जाट नही

भाजपा की टिकट वितरण कोर कमेटी में एक भी जाट नेता शामिल नहीं, जबकि सभी प्रमुख जातियों को मिली जगह* *नई दिल्ली.* भाजपा कोर कमेटी में जहां बड़े-बड़े दिग्गज वह हर जाति को जगह दी गई है. किसान कौम के नाम से मशहूर जाट समाज से कोई नेता राजस्थान टिकट वितरण को लेकर बनी कोर कमेटी में नहीं है. इसको लेकर राजस्थान के जाट समुदाय में रोष व्याप्त है. दरअसल, राजस्थान चुनाव को लेकर बनी कोर कमेटी में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, ओमप्रकाश माथुर, प्रदेशध्यक्ष मदनलाल सैनी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, प्रभारी अविनाश राय खन्ना, राजेंद्र सिंह राठौड़, अशोक परनामी, गुलाब चंद कटारिया, सह संगठन मंत्री वी सतीश शामिल है. राजस्थान की कोर कमेटी में राजपूत, कायस्थ, माली, ब्राह्मण, जैन और दलित समुदाय से जुड़े नेताओं को शामिल किया गया है. वहीं जाट समाज से कई कद्दावर नेता होने के बावजूद एक भी नेता को कोर कमेटी में शामिल नहीं किया गया है. वर्तमान में जाट समाज से बाड़मेर-जैसलमेर सांसद कर्नल सोनाराम , राज्यसभा सांसद

मोदी के खिलाफ आपराधिक रिट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपराधिक रिट याचिका स्वीकार करने वाले है सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई! सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक आपराधिक याचिका स्वीकार करने वाले हैं। यह बात उन्होंने दो जजों जस्टिस यूयू ललित तथा केएम जोसेफ के सामने एएसजी तथा केके वेनुगोपाल को संबोधित करते हुए कही। इस बात का खुलासा सुशील कुमार राजपाल ने अपनी फेसबुक पोस्ट में किया है। राजपाल का कहना है कि जस्टिस गोगोई ने वहां मौजूद सरकारी वकीलों को संबोधित करते हुए कहा कि वे प्रधानमंत्री के खिलाफ एक आपराधिक रिट याचिका स्वीकार करने के संदर्भ में आदेश पारित करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई के संबोधन के बारे में बताते हुए राजपाल ने कहा है कि राफेल डील को लेकर सरकार ने सील्ड कवर में कोर्ट को जो भी सूचनाएं दी है उसे मुख्य न्यायधीश पब्लिक डोमेन में रखने लायक मानते हैं। कहने का मतलब यह कि मुख्यन्यायधीश सरकार द्वारा कोर्ट को उपलब्ध कराई सूचना वादी को भी देने के पक्ष में हैं। राजपाल ने कहा कि वैसे तो कोर्ट ने अपने पहले आदेश मे

मृत्यु भोज ओर विधवा का दुःख

मृत्यु भोज का लुत्फ उठाने वालो... जो आप सजधज कर जीमण जीमने जाते हो ना.. तुम्हारे उसी *एक समय के जीमण की कीमत* आप तो मज़े से जीमण खा रहे होते हो.. लेकिन कभी उस विधवा औरत के बारे मे भी सोचा.. जो अब भी घर के अंधेरे कमरे मे किसी कोने में भरी गर्मी मे भी कम्बल ओढकर बैठी हुई है ..वो 8-10 दिनो से लगातार रो रही है और उसके आंसु सुखते तक नहीं है.. वो ना जाने कितने दिनों से भूखी होगी.. जिसे बाकी की सारी उम्र अपने पति के बिना सादगी से काटनी पड़ेगी... मृत्यु भोज का लुत्फ उठाने वालो.. उन बच्चों के बारे में भी सोचो.. जिनके सर से अपने बाप का साया उठ चुका है.. और जो हफ़्ते दस दिन से भूखे प्यासे आपके खाने पीने की ज़रूरतो को पुरा करने मे लगे हुए हैं.. इस मृत्यु भोज के लिए चाहे कर्ज ले या ज़मीन बेचे.. चाहे बच्चों की पढ़ाई छुटे या कम उम्र में ही मज़दुरी करनी पड़े.. पैसे तो उन्ही को चुकाने है.. आपको तो आपके जीमण से मतलब है..कभी उनकी आँखों मे आंखें डालकर देखना.. कर्ज़ चुकाने की टेंशन साफ दिखाई देगी.. अगर वाकई मे इंसान ही हो तो आंसुओं और मज़बुरियो से बना खाना छोड़ दो.. मैंने तो यह एहसास भी किया है कि एक बा

जाट ओर उनका इतिहास

पं० मदन मोहन मालवीय के नाम से हम सभी भारतीय परिचित हैं। ये महान् पुरुष एक राजनीतिक, समाज-सुधारक, शिक्षा सुधारक तथा धर्मप्रिय नेता थे। इन्होंने ही बनारस में हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। इन्होंने विख्यात सेठ बिड़ला के सहयोग से सन् 1932 में दिल्ली में एक भव्य मन्दिर बनवाने की सोची। इसकी आधारशिला के अवसर पर भारत वर्ष के राजा-महाराजाओं को पधारने का न्यौता दिया गया। काफी राजा महाराजा सज-धजकर इस अवसर पर दिल्ली पहुंचे। जब आधारशिला रखने की बारी आई तो महामहिम मालवीय जी दुविधा में पड़ गए कि किस राजा के कर-कमलों से इस पवित्र मन्दिर की स्थापना की जाए। उन्होंने बहुत सोच विचार कर एक प्रस्ताव तैयार किया, जिसमें उन्होंने 6 शर्तें रखीं कि जो भी राजा इन शर्तों को पूरा करेगा वही इस मन्दिर की आधारशिला अर्थात् नींव का पत्थर रखेगा। ये शर्तों इस प्रकार थीं:- ◾क) जिसका वंश उच्चकोटि का हो। ◾ ख) जिसका चरित्र आदर्श हो। ◾ ग) जो शराब व मांस का सेवन न करता हो। ◾ घ) जिसने एक से अधिक विवाह न किये हों। ◾ ङ) जिसके वंश ने मुगलों को अपनी लड़की न दी हो। ◾ च) जिसके दरबार में रण्डियां न नाचती हों। इस प्रस्ताव को

एक परिवार और उनकी दीवाली

कल संडे था, सो शॉपिंग के लिए मॉल गया था। बिलिंग में लंबी लाईन थी। मैं ट्रॉली लिए लाईन में खड़ा था। मेरे आगे एक फैमिली अपना बिलिंग करवा रहा था। बच्चे ट्रॉली से अपना मनपसंद समान उठाकर बिल के लिए रख रहे थे।* उनकी माँ ने भी दीवाली के डेकोरेशन के लिए खूब सारी चीजें ली थी और साईड में खड़े पापा की नज़र सिर्फ कंप्यूटर स्क्रीन पर थी, बिल के लगातार बढ़ रहे आंकड़े पर। अच्छी खासी अमाउंट हो जाने के बाद उन बच्चों के पापा ने कैशियर से आगे का सामान वापस रखने को कहा। बच्चे कहने लगे : "पापा इतना क्यों वापस कर दिया..??" ये झूमर मम्मी को कितना पसंद है।" माँ ने भी बच्चों के सुर में सुर मिलाए "अरे ले लो ना। दीवाली में कुछ नया तो लगना चाहिए।" "पापा ने सब बातों को अनसुना कर अपना वॉलेट निकाला। पैसे गिनकर देने के बाद उनके वॉलेट में सिर्फ एक 50 का नोट बचा था, जिस पर ना बच्चों का ध्यान था ना माँ का। बच्चे अभी भी डिमांड्स रख रहे थे और वो पिता अपने वॉलेट को वापस जेब में रखते वक़्त इतना थका हुआ महसूस कर रहा थे। मैं पीछे खड़ा उस पिता के चेहरे के भावों को पढ़ने की कोशिश कर रही था । बेशक वो

मंदिर मस्जिद हिन्दू ओर मुस्लिम

क्या कोई हिंदू किसी भी मुस्लिम देश में मस्जिद बनाने पर रोक लगा सकते है, या फिर किसी ईसाई देश में चर्च बनाने पर रोक लगा सकते है,! नहीं लगा सकते ना! तो फिर क्यों इस देश में 80% हिंदुओं के होते हुए भी, हमेशा हिंदुओं को ही समझौता करना पड़ता है! क्यों हिन्दू बार-बार अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट जैसी घटिया न्याय व्यवस्था के आदेश को मानने पर विवश होते हैं! यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट जैसी घटिया न्याय व्यवस्था पर ही वामपंथी कुत्ते कब्ज़ा करके बैठ गए है, जो एक हिरण और मासूम इंसानों के हत्यारे सलमान को तो बरी कर देती है, श्रीकृष्णा पर भद्दी टिप्पणी करने वाले घटिया प्रशांत भूषण पर कोई कार्यवाही नहीं होती! लेकिन दूसरी तरफ कमलेश तिवारी को पैगंबर पर टिप्पणी करने के आरोप में जेल में डाल देती है! साध्वी प्रज्ञा असीमानंद जैसे हजारों बेकसूर हिंदुओं पर कार्रवाई की जाती हैं! पैटल गन पर रोक लगाई जाती है लेकिन उन कश्मीर के जिहादी सुअरो के हमलो से देश के सैनिकों की रोज होने वाली मौत पर इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता! अरे आग लगाओ ऐसी घटिया न्याय व्यवस्था को आखिर तुम हिंदू ही ऐसी

मोदी से पहले मोदी के बाद

जब तक भाजपा वाजपेयीजी की विचारधारा पर चलती रही, वो राम के बताये मार्ग पर चलती रही। मर्यादा, नैतिकता, शुचिता इनके लिए कड़े मापदंड तय किये गये थे। परन्तु कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी। जहाँ करोड़ों रुपये के घोटाले- घपले करने के बाद भी कांग्रेस बेशर्मी से अपने लोगों का बचाव करती रही, वहीं पार्टी फण्ड के लिए मात्र एक लाख रुपये ले लेने पर भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्षमण को हटाने में तनिक भी विलंब नहीं किया। परन्तु चुनावों में नतीजा?? वही ढाक के तीन पात... झूठे ताबूत घोटाला के आरोप पर तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडिस का इस्तीफा, परन्तु चुनावों में नतीजा?? वही ढाक के तीन पात... कर्नाटक में येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही येदियुरप्पा को भाजपा ने निष्कासित करने में कोई विलंब नहीं किया..... परन्तु चुनावों में नतीजा??? वही ढाक के तीन पात... खैर.... फिर होता है नरेन्द्र मोदी का पदार्पण । मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नक्शे कदम पर चलने वाली भाजपा को वो कर्मयोगी कृष्ण की राह पर ले आते हैं। कृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं। छल

लालू और बड़े तुरामखां

लालू यादव को जानते हो। एक ऐसा आदमी जिसने अपनी लड़की की शादी में मेहमान लाने ले जाने के लिए पटना के शोरूम से नई नई गाड़िया शटर तोड़ के उठा ली थी, एक ऐसा आदमी जिसने पूरे 15 साल में बिहार को जंगलराज में तब्दील कर दिया, एक ऐसा आदमी जिसने अपहरण, फिरौती, सुपारी किलिंग को बिज़नेस बना दिया। जिसने अपनी अनपढ़ बीबी को भी सुपर चीफ मिनिस्टर बना दिया हो। यानी एक अकेला व्यक्ति जिसने एक राज्य को ही तबाह कर डाला हो। उस आदमी का बेटा कह रहा है कि उसकी पत्नी उसे यातना देती है, टॉर्चर करती है। और उससे बचने के लिये बेचारा तलाक के लिए भागा भागा फिर रहा है। सोचिये ये होती है बीबी, एक बाहुबली के बेटे को भी कुत्ता बना के रख दिया।। फिर आपकी और हमारी तो औकात ही क्या है। इसलिए गहरी सांस लीजिये, ठंडा पानी पीजिये और जैसी चल रही है वैसी ही चलने दीजिये। यह एक हास्य कविता जैसी मैंने आपको बताई गई लेकिन सच्चाई तो यह है कि खाली हास्य ही नहीं बल्कि लालू प्रसाद यादव बहुत ही नीच किसम का आदमी क्योंकि उसने चारा घोटाला गायों का चारा खा गया और अपनी अनपढ़ पत्नी राबड़ी देवी को भी उसने नहीं छोड़ा और आज ईश्वर ने उनके साथ इस त

रशिया ओर कुछ खाश बाते

मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ राशि स्वरूप: मेंढा जैसा, राशि स्वामी- मंगल। 1. राशि चक्र की सबसे पहली राशि मेष है। यह राशि चर (चलित) स्वभाव की होती है। राशि का चिह्न मेढ़ा संघर्ष का प्रतीक है। 2. मेष राशि वाले आकर्षक होते हैं। इनका स्वभाव कुछ रुखा हो सकता है। दिखने में सुंदर होते हैं। यह लोग किसी के दबाव में काम करना पसंद नहीं करते। इनका चरित्र साफ-सुथरा एवं आदर्शवादी होता है। 3. बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं। समाज में इनका वर्चस्व होता है और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। 4. निर्णय लेने में जल्दबाजी करते हैं तथा जिस काम को हाथ में लिया है, उसे पूरा किए बिना पीछे नहीं हटते। 5. इनके स्वभाव में कभी-कभी लापरवाही भी आ जाती है। लालच करना इस राशि के लोगों के स्वभाव मे नहीं होता। दूसरों की मदद करना इन्हें अच्छा लगता है। 6. इनकी कल्पना शक्ति की अच्छी रहती है। सोचते बहुत ज्यादा हैं। 7. जैसा खुद का स्वभाव है, वैसी ही अपेक्षा दूसरों से भी करते हैं। इस कारण कई बार धोखा भी खाते हैं। 8. इन्हें गुस्सा बहुत जल्दी आता है। किसी भी चुनौती को स्वीकार करने की आदत होती है। 9. अपना अपमान जल्दी नही

पत्ती पड़ोसी ओर मूर्ति

पति काम से घर जल्दी आ गया। पत्नी ने यह देखा तो घबरा कर प्रेमी गुप्ता जी को पाउडर लगा कर, कोने में मूर्ति बनाकर खड़ा कर दिया। पति कमरे में आया तो उसने मूर्ती देखी और पूछा-: यह क्या है डार्लिंग..? पत्नी मुस्कुराते हुए बोली:जी, यह मूर्ति हमारे पड़ोसी गुप्ता जी ने दी है। पति कुछ ना बोला और काम काज में व्यस्त हो गया। पति आधी रात को उठ कर मूर्ति के आगे सेंडविच रखकर बोला-खा लो गुप्ता जी। परसों मैं भी तुम्हारे घर सारी रात ऐसे ही खड़ा रहा किसी ने पानी तक भी नहीं पूछा था।

हिन्दू ओर तीन जानवर

*लड़ाई या कठिन परिस्थिति में घिर जाने पर जानवर क्या करते हैं ?* *आईये मनोविज्ञान के अध्ययन के द्वारा इसे जानने की कोशिश करें ।* *खतरे में फंस कर जानवर तीन तरह से व्यवहार करते हैं, फाईट, फ्लाईट या फ्रीज।* *फाईट यानि लड़ना , जिसे कहते हैं, मुसीबत का डटकर मुकाबला करना ।* *फ्लाईट यानि भाग जाना । जिसे कहते हैं दुम दबाकर डरकर भाग जाना ।* *फ्रीज यानि वहीं जड़ हो जाना । जिसे कहते हैं, डर से लकवा मार जाना ।* *लड़ाई में आमना सामना होने पर कुछ जानवर लड़ना पसंद करते हैं । जैसे, शेर, भालू, हाथी आदि। चाहे दुशमन कैसा भी ताकतवर क्यों न हो, यह भिड़ जाते हैं ।* *कुछ जानवर जब ताकतवर या हिंसक जानवर से घिर जाते हैं तो जान बचाने के लिए भागना पसंद करते हैं । जैसे कि, हिरण, खरगोश, बकरी आदि।* *अब तीसरे तरह के जंतु भी होते हैं । यह जब खतरा देखते हैं तो शांत बैठ जाते हैं । जैसे कि शतुरमुर्ग खतरा देखकर रेत में सिर छुपा लेता है । कबूतर के पास यदि बिल्ली आ जाए तो अपनी आंख बंद कर लेता है। यह सोचते हैं कि मेरे आंख बंद कर लेने से मुसीबत टल जाएगी । पर वह नहीं टलती व बिल्ली शांत बैठे कबूतर को ग्रास बना लेती

BJP ओर अयोध्या मंदिर

जिस भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अपना पूरा राजनीतिक जीवन दाँव पर लगाकर भारत की पवित्र भूमि में से एक 'अयोध्या ' नगरी, जहां साक्षात तीन लोकों के स्वामी भगवान ' श्री राम ' का जन्म हुआ.. उस पवित्र भूमि पर वर्षो से लगे एक आततायी मुस्लिम शासक बाबर द्वारा राममंदिर तोड़कर बनायी बाबरी मस्जिद रूपी कलंक को धोया .. आज उसी भारतीय जनता पार्टी पर अगर कोई हिंदू होकर ये आरोप लगाए कि कि भारतीय जनता पार्टी के कारण राममंदिर निर्माण में विलंभ हो रहा है... तो विश्वास मानिए एसे आरोप लगाने वाले व्यक्ति की मंदबुद्धी पर मुझे तरस आता है . अगर भारतीय जनता पार्टी अयोध्या में राममंदिर नहीं बनवाएगी.. तो क्या समाजवादी पार्टी बनवाएगी जिसका मुखिया ( मुलायम सिंह यादव ) भरे मंच पर सीना ठोक कहते हैं कि हां मैंने मुसलमान भाईयों की खातिर कारसेवकों पर गोलियां चलवाई थीं , तो क्या आप उनके ही पुत्र अखिलेश यादव से राममंदिर निर्माण की आशा लगाए हैं जिसने अपने शासन काल में मुसलमानों के लिए गाजियाबाद में करोड़ो की लागत से एशिया के सबसे बड़े हज हाऊस का निर्माण करवाया .. तो क्या बसापा की मायावती राममंदिर

हिन्दू राष्ट्र की मांग : नेपाल को

*नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग को लेकर चलाए जा रहे अभियान को मुसलमानों से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. बता दें कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने को लेकर एक अभियान चलाया जा रहा है।* *खास बात है कि इस अभियान का अगर कोई समुदाय सबसे ज्यादा समर्थन कर रहा है तो वह है वहां का मुस्लिम समुदाय। नेपाल का मुस्लिम समुदाय सेकुलर राष्ट्र नहीं चाहता है, बल्कि वह पुराना हिंदू राष्ट्र चाहता है।* *वहां के मुसलमानों का कहना है कि नेपाल में सेकुलर संविधान के तहत नहीं बल्कि हिंदू राष्ट्र के अंतर्गत इसलाम ज्यादा सुरक्षित है। नेपाल के राप्ति मुस्लिम सोसाइटी के चेयरमैन अमजद अली का कहना है कि अगर इसलाम को सुरक्षित रखना है तो हमें नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करवाने के लिए अपना मुंह खोलना होगा क्योंकि हिंदू राष्ट्र के तहत ही हमारा मजहब सुरक्षित रह सकता है।* *अमजद अली नेपाल में हिंदू राष्ट्र की मांग के लिए प्रदर्शन कार्यक्रम से भी जुड़े हैं। सीपीएन-यूएमएल सीए की सदस्य अनारकली मिया ने कहा है कि वह अपने अनुभव के आधार पर कह सकती है कि नेपाल में क्रिश्चियनिटी के विस्तार के लिए

संघ: आसान या मुश्किल

“संघ को जानना जितना आसान है, समझना उतना ही मुश्किल" संघ के काम के बारें में जो दिखाया जाता है, जो बताया जाता है. वो संघ का काम नहीं है बल्कि संघ के स्वयंसेवकों का काम है.संघ का काम तो सिर्फ़ शाखा चलाना है. शाखाओं में मनुष्यों का निर्माण होता है. और यह सुनिश्चित करना कि ऐसा ही माहौल पूरे देश में निर्मित्त हो बस संघ का इतना छोटा सा काम है. “संघ कुछ नहीं करता और स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ते, सब कुछ करते है” बस इतनी छोटी सी बात संघ 1925 से समझा रहा है. जो कुछ लोगो समझ में नहीं आता है. इसलिए संघ पर विश्वास नहीं होता. इसलिए संघ को समझने का प्रयास करना पड़ता है. “संघ की तरह का कोई दुसरा मॉडल आज नहीं है. जिससे संघ की तुलना की जा सकें, ऐसा पूरी दुनिया में कोई दूसरा मॉडल नहीं है।” संघ को कैसे जाने ? संघ के बारें में पढ़कर संघ को नहीं जान सकते. परम पूज्यनीय गुरूजी ने कहा था “गत 15 वर्षों से संघ का सरसंघचालक होने के नाते अब मैं धीरे धीरे संघ को समझने लगा हूँ. क्या संघ समझ से परे है ? ऐसा भी नहीं है है. संघ को समझना आसान है और संघ को समझना मुश्किल भी है. संघ को जानने का एक ही रास्ता है. हृदय मे

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