आखिरी चट्टान - मोहन राकेश

                    आखिरी चट्टान | ( मोहन राकेश )   परिचय - मोहन राकेश ( असली नाम मदनमोहन मुगलानी ) का जन्म अमृतसर में सन् 1925 में हुआ । उन्होंने पहले आरिएंटल कालेज , लाहौर से संस्कृत में एम . ए . किया और विभाजन के बाद जालन्धर आये । फिर पंजाब विश्वविद्यालय से एम . ए . किया । जीविकोपार्जन के लिए कुछ वर्षों अध्यापन कार्य किया , किन्तु लाहौर , मुम्बई , जालन्धर और दिल्ली में रहते हुए कहीं भी स्थायी रूप से नहीं रहे । इन्होंने कुछ समय तक ‘ सारिका ' पत्रिका का सम्पादन किया । ये ' नयी कहानी ' आन्दोलन के अग्रणी कथाकार माने जाते हैं । मोहन राकेश बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उन्होंने उपन्यास , नाटक , कहानी , निबन्ध एवं यात्रा - वृत्तान्त आदि सभी विधाओं पर लेखनी चलायी । इनका सन् 1972 में असमय निधन हुआ ।  आषाढ़ का सारा दिन ' , ' लहरों के राजहंस ' तथा ' आधे - अधूरे ' इनके चर्चित नाटक हैं , जो रंगमंच की दृष्टि से पूर्ण सफल हैं । ' अंधेरे बन्द कमरे ' , ' अन्तराल ' , ‘ न आने वाला कल ' उनके उपन्यास तथा ' इंसान के खण्डहर ' , ' नये बादल '...

बिना ड्राइवर की गाड़ी

एक बार मुझे अपने काम से कहीं बाहर जाना था तो मैंने अपनी फोर व्हीलर गाड़ी निकाली और चला गया रास्ते के अंदर जाते जाते मुझे ऐसा लगा कि मेरी गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो रहा है तो मैं अपनी गाड़ी से नीचे उतर गया नीचे उतरने के बाद मैं अपनी गाड़ी को धक्का लगाना स्टार्ट कर दिया लेकिन कुदरत का करिश्मा देखिए जिस टाइम में गाड़ी से उतर रहा था उसी समय अचानक एक व्यक्ति आकर मेरी गाड़ी के अंदर बैठ गया उसे लगा कि किसी ने गाड़ी मेरे लिए रोकी है अब वह मां से गाड़ी के अंदर बैठ गए और उसने ड्राइविंग सीट पर देखा तो कोई दिखाई नहीं दिया सुषमा से क्यों ऊपर से नीचे तक लेकर पसीना होने लगा और वह अंदर ही अंदर घुटने लगे कि ऐसी कैसी गाड़ी बिना ड्राइवर के चल रही है आज तो मेरी शामत आ गई है अब वह आदमी बड़े ही जोर जोर से चिल्लाने लगा कि बचाओ बचाओ मुझे बचाओ यहां पर भूत है मुझे बचाओ गाड़ी के अंदर कोई नहीं है गाड़ी अपने आप चल रही है मुझे लगा कि मेरी गाड़ी के अंदर कौन हल्ला कर रहा है तो मैं आगे गया और देखा कि वह व्यक्ति अंदर बैठा बैठा दुबक के बहुत ही डर रहा था फिर मैं उस मासी के पास अंदर गया और उसको जाकर बोला कि भाई साहब आप को डरने की जरूरत नहीं आप भी इंसान है और मैं भी एक इंसान हूं हमारे बीच में गलतफहमी हो गई इसके लिए आप डर गए जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता है फिर हम दोनों ने हाथ मिलाए एक दूजे के गले मिले और वहां से निकल दिए

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