आखिरी चट्टान - मोहन राकेश

                    आखिरी चट्टान | ( मोहन राकेश )   परिचय - मोहन राकेश ( असली नाम मदनमोहन मुगलानी ) का जन्म अमृतसर में सन् 1925 में हुआ । उन्होंने पहले आरिएंटल कालेज , लाहौर से संस्कृत में एम . ए . किया और विभाजन के बाद जालन्धर आये । फिर पंजाब विश्वविद्यालय से एम . ए . किया । जीविकोपार्जन के लिए कुछ वर्षों अध्यापन कार्य किया , किन्तु लाहौर , मुम्बई , जालन्धर और दिल्ली में रहते हुए कहीं भी स्थायी रूप से नहीं रहे । इन्होंने कुछ समय तक ‘ सारिका ' पत्रिका का सम्पादन किया । ये ' नयी कहानी ' आन्दोलन के अग्रणी कथाकार माने जाते हैं । मोहन राकेश बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उन्होंने उपन्यास , नाटक , कहानी , निबन्ध एवं यात्रा - वृत्तान्त आदि सभी विधाओं पर लेखनी चलायी । इनका सन् 1972 में असमय निधन हुआ ।  आषाढ़ का सारा दिन ' , ' लहरों के राजहंस ' तथा ' आधे - अधूरे ' इनके चर्चित नाटक हैं , जो रंगमंच की दृष्टि से पूर्ण सफल हैं । ' अंधेरे बन्द कमरे ' , ' अन्तराल ' , ‘ न आने वाला कल ' उनके उपन्यास तथा ' इंसान के खण्डहर ' , ' नये बादल '

मालेगांव बम ब्लास्ट ओर अपराधी

मालेगांव ब्लास्ट केस: सातों आरोपियों पर षड्यंत्र और हत्या के आरोप तय 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में सातों आरोपियों के खिलाफ मंगलवार को आरोप तय कर लिए गए। मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा और अन्य पांच लोगों के खिलाफ आतंकी षड्यंत्र, हत्या और इससे संबंधित अपराधों जैसे आरोप तय किए। हालांकि, सभी आरोपियों ने खुद को बेगुनाह बताया है। कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा के अलावा इसमें मेजर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी शामिल हैं। इन सभी पर यूएपीए की धारा 18 (आतंकी हमले को अंजाम देना) और 16 (आतंकी हमले की साजिश करना) के अलावा विस्फोटक कानून की धारा 3, 4, 5 और 6 के तहत आरोप तय हुए हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख 2 नवंबर को दी है। अभी 22 अक्टूबर को ही कोर्ट ने मामले की सुनवाई रोजाना करने के निर्देश दिए हैं। साध्वी प्रज्ञा ने आरोप तय होने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि 'एनआईए ने पहले मुझे क्लीन चिट दे दी थी। ये कांग्रेस की साजिश थी। लेकिन मुझे विश्वास है कि मैं निर्दोष साबित होऊंगी क्योंकि सच्चाई की जीत होती है। गौरतलब है कि 2008 में मालेगांव बम विस्फोट में 6 लोगों की मौत और 101 लोग घायल हो गए थे। इस मामले में कर्नल पुरोहित को मुख्य आरोपी बनाया गया था। 9 सितंबर, 2008 को हुए मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में 9 साल तक जेल में बंद रहे कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। पसंद करने के लिए इस मैसेज को reply करें और टाइप करे 👍 जय श्री राम

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