आखिरी चट्टान - मोहन राकेश

                    आखिरी चट्टान | ( मोहन राकेश )   परिचय - मोहन राकेश ( असली नाम मदनमोहन मुगलानी ) का जन्म अमृतसर में सन् 1925 में हुआ । उन्होंने पहले आरिएंटल कालेज , लाहौर से संस्कृत में एम . ए . किया और विभाजन के बाद जालन्धर आये । फिर पंजाब विश्वविद्यालय से एम . ए . किया । जीविकोपार्जन के लिए कुछ वर्षों अध्यापन कार्य किया , किन्तु लाहौर , मुम्बई , जालन्धर और दिल्ली में रहते हुए कहीं भी स्थायी रूप से नहीं रहे । इन्होंने कुछ समय तक ‘ सारिका ' पत्रिका का सम्पादन किया । ये ' नयी कहानी ' आन्दोलन के अग्रणी कथाकार माने जाते हैं । मोहन राकेश बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उन्होंने उपन्यास , नाटक , कहानी , निबन्ध एवं यात्रा - वृत्तान्त आदि सभी विधाओं पर लेखनी चलायी । इनका सन् 1972 में असमय निधन हुआ ।  आषाढ़ का सारा दिन ' , ' लहरों के राजहंस ' तथा ' आधे - अधूरे ' इनके चर्चित नाटक हैं , जो रंगमंच की दृष्टि से पूर्ण सफल हैं । ' अंधेरे बन्द कमरे ' , ' अन्तराल ' , ‘ न आने वाला कल ' उनके उपन्यास तथा ' इंसान के खण्डहर ' , ' नये बादल '...

क्या है स्टैच्यू_ऑफ_यूनिटी

#स्टैच्यू_ऑफ_यूनिटी #लौह_पुरुष #सरदार_वल्लभ_भाई_पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की महत्वकांक्षी परियोजना स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा अब पूरी तरह बन कर तैयार है. 31 अक्टूबर 2018 को प्रधानमंत्री मोदी इसका उद्घाटन करने वाले है. आइए जानते है इस प्रतिमा से जुड़ी कुछ खास बातें ★ गुजरात सरकार द्वारा 7 अक्टूबर 2010 को इस परियोजना की घोषणा की गयी थी. ★ गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया. ★ यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है. ★ प्रतिमा का निर्माण इस्पात के फ्रेम, प्रबलित सीमेण्ट कंक्रीट और काँसे की पर्त चढ़ाकर किया गया है. ★ टर्नर कन्स्ट्रक्शन, जो बुर्ज ख़लीफ़ा के सलाहकार थे, उन्हीं के सहयोगी संगठन - माइकल ग्रेव्स एण्ड एसोशिएट्स एवं मीनहार्ड ग्रुप दोनों मिलकर पूरी परियोजना की निगरानी की है. ★ पूरी परियोजना में प्रतिमा और अन्य भवन, जिनमें स्मारक, आगन्तुक केन्द्र, बाग, होटल, सभागार, मनोरंजन-उद्यान तथा शोध संस्थान आदि सभी शामिल हैं. ★ यह विश्व का सबसे ऊंचा स्मारक होगा. ★ देश के लौह पुरुष सरदार पटेल की इस प्रतिमा को बनाने के लिए पूरे देश से लोहा एकत्र किया गया है जिसमें किसानों द्वारा पुराने उपकरण जैसे फावड़ा, कुदाल, हल वगैरह इकट्ठा किया गया है. ★ 2990 करोड़ की लागत से इसे तैयार किया गया है. ★ इस प्रतिमा से देश के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे सरकारी राजस्व में वृध्दि होगी. नरेंद्र मोदी जी के बारे में एक बात मशहूर है, की मोदी जी जिस परियोजना का शिलान्यास करते है, उसका उद्घाटन भी वही करते है, एक बार और ये बात सच साबित होने जा रही है...

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